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Old 12-06-2012, 12:43 AM   #35
Dark Saint Alaick
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Default Re: डार्क सेंट की पाठशाला

सफलता का सच्चा रास्ता

प्रसिद्ध स्कॉटिश इतिहासकार और लेखक थॉमस कार्लाइल ने अनेक वर्षों की मेहनत के बाद एक महान पुस्तक 'फ्रांस की क्रांति' की रचना की। उन्होंने अपनी इस अनूठी रचना के बारे में एक बेहद करीबी मित्र से इसकी चर्चा की, तो उसने ग्रंथ की पांडुलिपि पढ़ने के लिए मांगी। कार्लाइल ने खुशी-खुशी वह पांडुलिपि अपने मित्र को दे दी। एक दिन उनका मित्र पांडुलिपि को पुरानी पत्र-पत्रिकाओं के बीच रखकर बाहर चला गया। उस समय उसका नौकर घर की साफ-सफाई में लगा था। उसने पुरानी पत्र-पत्रिकाओं के साथ उस पांडुलिपि को भी रद्दी समझकर जला दिया। लौटने पर मित्र ने जब नौकर से पांडुलिपि के बारे में पूछा, तो नौकर बोला - साहब, मैंने तो उसे भी पुरानी रद्दी व समाचार-पत्रों के साथ बेकार समझकर जला डाला है। यह सुनकर मित्र आपा खो बैठा, किंतु कर भी क्या सकता था; गलती तो उसी की थी। उसने बड़ी मुश्किल से स्वयं को कालाईल को यह बात कहने के लिए तैयार किया। यह खबर पाकर कालाईल की पत्नी के तो आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। कालाईल की वर्षों की मेहनत मानो मिट्टी में मिल गई थी। उधर, मित्र भी डर के मारे थर-थर कांप रहा था। मित्र की हालत को देखते हुए कालाईल ने स्वयं पर पूरी तरह काबू रखा और बोले, कोई बात नहीं। ऐसी दुर्घटनाएं तो होती रहती हैं। धैर्य व साहस के बावजूद कालाईल खुद भी टूट तो रहे थे, लेकिन उन्होंने संकल्प लिया कि वे हार मान कर नहीं बैठेंगे। अपनी इस पुस्तक पर दोबारा काम करेंगे। क्या पता अगली पुस्तक पहले वाली से बेहतर बने। वे फिर से अपनी पुस्तक तैयार करने में जुट गए। दो वर्ष बाद उन्होंने फिर से उसी पुस्तक की रचना की और आज वह एक बेजोड़ किताब के रूप में जानी जाती है। फ्रांस की क्रांति को समझने के लिए वह एक प्रामाणिक किताब है। इस तरह कालाईल ने अपने धैर्य व विपत्ति में न घबराने की प्रवृत्ति के कारण हाथ से छूटी सफलता को फिर से पा लिया।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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