18-01-2014, 10:46 PM
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#25
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Re: गैजेट :.........
गूगल लेंस :.........
* गूगल लेंस: अब आंसू देंगे ग्लूकोज़ का पता :.........
शरीर में ग्लूकोज़ स्तर का पता लगाने के लिए अब रोज़ शरीर में सुई चुभोने जैसी दर्दनाक प्रक्रिया से छुटकारा मिल सकता है. गूगल ऐसा लेंस बना रही है, जो आंसू में मौजूद ग्लूकोज़ की मात्रा नापेगा. इसका नाम है गूगल 'स्मार्ट कॉन्टेक्ट लेंस'.
स्मार्ट कॉंन्टेक्ट लेंस अपनी दो परतों के बीच लगी नन्ही वायरलेस चिप और छोटे ग्लूकोज़ सेंसर की मदद से आंसुओं में मौजूद ग्लूकोज़ की मात्रा का पता लगाएगा.
क्लिक करें गूगल इस लेंस में एक ऐसी एलईडी लाइट लगाने पर भी काम कर रहा है, जो ग्लूकोज़ की सीमा से ज्यादा होते ही जल उठेगी.
मगर कंपनी का यह भी मानना है कि रोज़मर्रा के इस्तेमाल के लिए इस तकनीक के तैयार होने के पहले काफ़ी कुछ किया जाना बाकी है.
गूगल ने अपने ब्लॉग में लिखा है, "यह तकनीक आने में अभी देर है. मगर हमने इससे जुड़े अधिकतर शोध पूरे कर लिए हैं. हमें विश्वास है कि एक दिन यह तकनीक डायबिटीज़ से जूझ रहे लोगों के लिए क्लिक करें राहत लेकर आएगी."
उत्साहजनक तरक्की-
दुनिया भर की कई कंपनियां पहने जाने वाले (वियरेबल) क्लिक करें तकनीकी उत्पाद बाज़ार में अपने पांव जमाना चाहती हैं.
आने वाले सालों में उन्हें इस बाज़ार में काफ़ी संभावनाएं नज़र आती हैं.
अलग-अलग अनुमानों के आधार पर कहा जा सकता है कि वियरेबल तकनीक के क्षेत्र में अगले पांच साल में 10 अरब डॉलर से 50 अरब डॉलर तक की बढ़ोतरी की संभावना है.
इस क्षेत्र की कई कंपनियां आजकल विशेष रूप से सेहत से जुड़ी तकनीक पर काम कर रही हैं.
गूगल को उम्मीद है कि निकट भविष्य में स्मार्ट कॉन्टेक्ट लेंस के उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने वाली है. इसलिए वह ज़ोर-शोर से इसे बनाने में जुटी है.
'अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज़ फ़ेडरेशन' के मुताबिक़ साल 2035 तक पूरी दुनिया में 10 में से एक इंसान को डायबिटीज़ होने की आशंका है.
ऐसे मरीज़ों को ग्लूकोज़ स्तर पर लगातार नज़र रखनी पड़ती है. ग्लूकोज़ की मात्रा में अचानक कमी या बढ़ोतरी सेहत के लिए गंभीर ख़तरे पैदा करती है. इसलिए नियमित जांच ज़रूरी है.
गूगल के मुताबिक़ अभी वह ग्लूकोज़ पर हर सेकेंड नज़र रखने वाले इन लेंसों के नमूनों की जांच कर रही है.
परामर्श कंपनी 'फ्रॉस्ट एंड सुलिवन' के प्रबंधक मनोज़ मेनन ने बीबीसी को बताया, "रोगनिरोधक स्वास्थ्य कंपनियों में हो रहा यह विकास उत्साहजनक है. उम्मीद है कि इस क्षेत्र में कई और नए अनुसंधान होंगे, जिनसे क्लिक करें वियरेबल उत्पादों के ज़रिए सेहत से जुड़ी गतिविधियों पर नज़र रखी जा सकेगी."
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Last edited by Dr.Shree Vijay; 19-01-2014 at 11:29 AM.
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