Re: कहानी का रूपान्तरण
यद्यपि हिन्दी फ़ीचर फ़िल्म 'ये रिश्ते हैं प्यार के' में 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी के मुख्यांश का प्रयोग नहीं हुआ, किन्तु पटकथाकार 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी के केन्द्रीय विचार में निहित भावनात्मक कोण (Emotional Angle) का समावेश कहानी में करने में सफल रहे। सबसे पहले समझिए कि 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी के केन्द्रीय विचार 'नानावटी अपनी पत्नी सिल्विया का विवाह उसके प्रेमी प्रेम के साथ करने के लिए तैयार था।' में निहित भावनात्मक कोण क्या था? इसमें नानावटी की त्याग की भावना दृष्टिगोचर होती है जिसमें वह पत्नी का विवाह उसके प्रेमी के साथ कराकर पत्नी को खुश देखना चाहता था। अतः इस कार्य में 'पत्नी की खुशी' निहित है। 'ये रास्ते हैं प्यार के' में 'नीना का दुःख देखकर अनिल तड़प उठता है और उसे बहलाकर पथभ्रष्ट करके दुःख के सागर में धकेलने वाले अशोक से लड़ने के लिए जाता है।' इसमें अनिल का असीम प्रेम दृष्टिगोचर होता है जिसके कारण वह पत्नी का दुःख देखकर तड़प उठा और अशोक से लड़ने गया। अतः इस कार्य में 'पत्नी को दुःखित देखकर तड़पना' निहित है। भावनात्मक दृष्टिकोण से 'किसी की खुशी चाहना' अथवा 'किसी का दुःख देखकर तड़पना' लगभग एक-दूसरे के समतुल्य हैं, क्योंकि ऐसा कभी नहीं होता कि 'आप किसी की खुशी चाहते हैं तो उसका दुःख देखकर न तड़पें' अथवा 'आप किसी का दुःख देखकर तड़पते हैं तो उसकी खुशी न चाहें'। भावनात्मक दृष्टिकोण का विषय बहुत बड़ा है और यह इस लेख का विषय भी नहीं है। अतः इसकी विस्तृत व्याख्या यहाँ पर नहीं की जा रही है। 'कहानी में भावनात्मक दृष्टिकोण का समावेश' विषय पर हम एक अलग लेख फिर कभी लिखेंगे।
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