Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
हमसफ़र बन के हम साथ हैं आज भी,
फिर भी है ये सफ़र अजनबी अजनबी,
राह भी अजनबी मोड़ भी अजनबी,
जाएँ हम किधर अजनबी अजनबी,
ज़िन्दगी हो गयी है सुलगता सफ़र,
दूर तक आ रहा है धुंआ सा नज़र,
जाने किस मोड़ पर खो गयी हर ख़ुशी,
देके दर्द-ऐ-जिगर अजनबी अजनबी,
हमने चुन चुन के तिनके बनाया था जो,
आशियाँ हसरतों से सजाया था जो,
है चमन में वही आशियाँ आज भी,
लग रहा है मगर अजनबी अजनबी,
किसको मालूम था दिन ये भी आयेंगे,
मौसमों की तरह दिल बदल जायेंगे,
दिन हुआ अजनबी रात भी अजनबी,
हर घडी हर पहर अजनबी अजनबी..
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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