घनाक्षरी छंद
घनाक्षरी छंद
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अपने में गुम रहूँ अब गुमसुम रहूँ, किसी को भी खुश क्यों मैं यार नहीं करता।
सच कहते है सभी गलती करूँ मैं रोज, पर एक बार भी स्वीकार नहीँ करता।
यह भी तो सत्य है कि बावला हुआ हूँ अब, सोच व विचार एक बार नहीं करता।
सब है पसंद पर यह मत कहना कि, आदमी हूँ आदमी से प्यार नहीं करता।
घनाक्षरी- आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर
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