Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
बशीर बद्र को आम आदमी का शायर कहा जाए कि ख़ास ? या फिर आम-ओ-ख़ास का ख़ास शायर?.....
मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला
तमाम रिश्तों को मैं घर में छोड़ आया था
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला
ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैं ने
बस एक शख्स को माँगा, वही मुझे न मिला
बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा, और मुझे कभी न मिला
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