02-05-2011, 01:04 PM
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#216
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
मेरे सब्र का ना ले इम्तेहान, मेरी खामोशी को सदा ना दे!
जो तेरे बगैर मर भी ना सके, उसे जीने की दुआ तो ना दे!
तू अज़ीज़ दिल-ओ-नज़र से है, तू करीब रग-ओ-जान से है!
मेरे दिल-ओ-जान का फैसला, कहीं वक़्त और बढ़ा ना दे!
तुझे भूल के भी भुला ना सकूं, तुझे चाह के भी ना पा सकूँ!
मेरी हसरतों को शुमार कर, मेरी चाहतों का सिला तो दे!
वो तड़प जो शोला-ए-जान में थी, मेरे तन बदन से लिपट गयी
जो बुझा सके तो बुझा इसे, ना बुझा सके तो हवा ना दे!
मुझे क़त्ल करना है तो क़त्ल कर, यूं जुदाइयों की सज़ा ना दे!
दिल-ओ-नज़र = दिल और नज़र
रग-ओ-जान = रग और जान
दिल-ओ-जान दिल और जान
हसरत = इच्छा या तमन्ना
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