Re: हँसना मना हैं :.........
सेठ को सताने लगी जब खीर की चिंता :
दोस्त के घर में खाना बहुत लाजवाब पका था, तो सेठ ने गले तक ठूंस-ठूंसकर खा लिया।
अब वह घर लौटा तो उसे अपनी खीर की चिंता सताने लगी।
उसने सोचा कि मेरे पेट में तो बिल्कुल जगह नहीं बची, अब कहीं यह खीर रसोइया न खा ले।
इसलिए सेठ ने एक प्लान बनाया और रसोइए से कहा, आज हम दोनों भूखे ही सोएंगे।
सुबह हममें से वही व्यक्ति खीर खाएगा, जिसने सबसे अच्छा सपना देखा होगा। रसोइया और सेठ दोनों सो गए।
सुबह उठकर सेठ ने रसोइए को बुलाया और कहा, पहले तू मेरा सपना सुन, इससे अच्छा सपना तो हो ही नहीं सकता। सेठ ने कहा, ‘मैंने सपने में देखा कि मैं प्रधान मंत्री बन गया हूं।’
सेठ की यह बात सुनकर रसोइया हंसने लगा। रसोइए को हंसता देख सेठ को लगा कि उसने इससे भी अच्छा सपना देखा है।
इसीलिए सेठ ने अपनी बात चालू रखी और बोला.. अरे! अरे! मेरा सपना अभी खत्म नहीं हुआ है..
‘फिर मैंने देखा कि मुझे भगवान इंद्र ने आमंत्रित किया है। मैं आकाश में पहुंचा तो देखा कि मेरे स्वागत के लिए वहां पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी मौजूद हैं।’
अब सेठ हंसता हुआ रसोइए से बोला, ‘इससे अच्छा सपना तो तेरे बाप को भी नहीं आ सकता।’
रसोइया बोला, सेठ मेरा सपना भी तो सुनो..‘मेरे सपने में गुरुजी डंडा लेकर आए थे।
मैंने अब से पहले उन्हें इतना नाराज कभी नहीं देखा था। वे बोले, मेरा चेला होकर तू भूखा सोएगा। उधर खीर खराब हो रही है और इधर तेरी नींद खराब हो रही है। चल, उठ और खीर खा ले।
मैंने मना किया तो उन्होंने कहा, खीर खाता है कि लगाऊं एक डंडा तुझे।
मैंने वह खीर खा ली और जो बची थी वह घर के बाहर सो रही कुतिया को खिला दी।
ये लीजिए आपका चांदी का चम्मच और कटोरा।’
सेठ बोला : तो तूने मुझे रात को जगाया क्यों नहीं?
रसोइया : कैसे बुलाता सेठ जी आपको, आप तो प्रधान मंत्री बन गए थे।
आपकी सिक्युरिटी टाइट थी, आपके पास आता भी कैसे।
और जैसे-तैसे आ भी जाता तो आप तो स्वर्ग में भगवान, इंद्र, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ थे!!!
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