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Old 04-02-2016, 08:54 PM   #1
rajnish manga
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Default सहिष्णुता और असहिष्णुता की बहस

सहिष्णुता और असहिष्णुता की बहस
(पक्ष और विपक्ष)

(1) सहिष्णुता के पक्ष में

सहिष्णु होने का अर्थ होता है सहनशील होना ।
सहना ....... बर्दाश्त करना ..........
सहन किसे करते हैं आप ?
किसको बर्दाश्त करना पड़ता है ?
सहन करना ....... ये शब्द लिया ही negative sense में है ।
हम किसी की ज़्यादतियाँ बदतमीजियां अत्याचार को सहन करते हैं ।
आज सारी दुनिया ....... सारी सेक्युलर जमात हमको शिक्षा दे रही है कि सहिष्णु बनो ।
और कितना झेलें ?
1400 साल की गुलामी झेल ली । मोहम्मद बिन कासिम से ले के तैमूर लंग और अह्मदशाह अब्दाली गज़नी गोरी टीपू सब बर्दाश्त किया ।
सोमनाथ से ले के अयोध्या काशी मथुरा तक सहन ही तो किया .....
शहर के शहर क़त्ल कर दिए गए । सहन किया ।
चित्तौड़ में 16000 क्षत्राणियों का जौहर हुआ ........ सहन ही तो किया ।
पहले मुसलमाँ फिर पुर्तगाली फ्रेंच अंग्रेज सब आये और लूट के चलते बने ।
सहन ही तो कर रहे थे ...........
मुल्क के तीन टुकड़े हुए । सहन ही तो किया ..........
हमसे ज़्यादा कौन सहन करेगा ?
अबे हमको सहनशीलता का पाठ पढ़ाते हो ?
5000 हज़ार साल के इतिहास के हमने कब किसे मारा ?
किसपे ज़ुल्म अत्याचार किये धर्म के नाम पर ?
कब किसकी गर्दन पे तलवार रख के उसका धर्म परिवर्तन कराया ?
सहिष्णुता का पाठ हमको मत पढ़ाओ भैया ।
तुम खुद ऐसे बनो कि तुम्हें बर्दाश्त न करना पड़े ।
चाल-चरित्र तुम बदलो । आक्रामकता तुम्हारा चरित्र है ।
उसे बदलो । ऐसा व्यवहार मत करो कि किसी को तुमको बर्दाश्त करना पड़े ।
सहन करना पड़े ।
क्योंकि कभी कभी सहन नहीं भी होता ............
(साभार: अजित सिंह)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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