Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
दो या तीन महीने बाद उनकी शादी हो जाती हैँ
शादी का सुनकर मेरा दिल और नहीँ लगता था दिल करता था मैँ दौड कर चला जाउँ लेकिन मजबुरी थी मैँ जा नही सकता था
खैर दो महीना बाद मैँ घर तो चला गया पता चला वो मैके गई हुई हैँ
मैँ उनके परिवार वाले को कहता रहा लेकर आजाओ कुछ दिन बाद वो आगई फिर मैँ सुबह से लेकर शाम तक उसी के घर के आसपास रहने लगा
दिन भर मैँ उसे कुछ ना कुछ खिलाता पिलाता रहता उसे अच्छी अच्छी बातेँ करता उसे हँसाता रहता
कभी कभी सबसे छुपाकर गिफ्ट भी देता रहता था
कभी कोई काम से जाना होता तो मैँ एक घंटे का काम को आधे घंटे मेँ खत्म करके घर वापिस हो जाता था
उस दौरान मैँ कभी भी पुरी फिल्म नहीँ देख पाया जब भी देखता उसकी याद आने लगती और मैँ दोस्तोँ को भी छोडकर वापिस आजाता
कुछ बातोँ मे हमदोनो के मन मुटाव भी हो जाता था और मैँ सोचता क्या मैँ अच्छा कर रहा हुँ एक शादीशुदा से प्यार करता हुँ नहीँ अब मैँ उसके घर के तरफ नहीँ जाउँगा
लेकिन मेरा सब इरादा उसके बुलाने पर या मुस्कुराने पर गायब हो जाता था फिर हमदोनो वैसे हो जाते थे लेकिन अभी तक ना मैँने कहा ना उसने कहाँ कि प्यार करता हुँ
शायद एक दुसरे के आँखो मेँ देखकर हम महसुस करने लगे थे
जैसा अक्सर होता हैँ
हमदोनो ने भले हीँ नहीँ कहाँ लेकिन गाँव की औरतेँ आपस मेँ बातेँ करने लगी थी हमारे बारे मेँ
तब कुछ आदमीयोँ को भी पता लग गया अपनी पत्नी से और आखिर मेँ उसके घरवाले के साथ मेरे घर वालोँ को भी पता चल गया क्रमसः
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दोस्ती करना तो ऐसे करना
जैसे इबादत करना
वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना
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