Re: पंचतत्व सृष्टि बनी
पंचतत्व सृष्टि बनी
वायु (The Air)
वायु तत्व के स्वामी ग्रह शनि हैं. इस तत्व का कारकत्व स्पर्श है. इसके अधिकार क्षेत्र में श्वांस क्रिया आती है. वात इस तत्व की धातु है. यह धरती चारों ओर से वायु से घिरी हुई है. संभव है कि वायु अथवा वात का आवरण ही बाद में वातावरण कहलाया हो. वायु में मानव को जीवित रखने वाली आक्सीजन गैस मौजूद होती है. जीने और जलने के लिए आक्सीजन बहुत जरुरी है. इसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. यदि हमारे मस्तिष्क तक आक्सीजन पूरी तरह से नहीं पहुंच पाई तो हमारी बहुत सी कोशिकाएँ नष्ट हो सकती हैं. व्यक्ति अपंग अथवा बुद्धि से जड़ हो सकता है.
प्राचीन समय से ही विद्वानों ने वायु के दो गुण माने हैं. वह है - शब्द तथा स्पर्श. स्पर्श का संबंध त्वचा से माना गया है. संवेदनशील नाड़ी तंत्र और मनुष्य की चेतना श्वांस प्रक्रिया से जुड़ी है और इसका आधार वायु है. वायु के देवता भगवान विष्णु माने गये हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 03-04-2018 at 07:03 PM.
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