Re: क्या क्रिकेट ही सब कुछ है?
मैंने क्रिकेट देखना उस दिन बंद कर दिया था जब अफ्रिका के महान खिलाड़ी हैन्सी क्रोंजे ने प्रायश्चित के तौर पे फिक्सिंग को स्वीकार किया था. क्रिकेट भारत और पाकिस्तान के लिए दीवानगी है एक नशा है जब क्रिकेट के मैच चलते है तो दफ्तर में काम आधा हो जाता है लोग दीन दुनिया से बेखबर होकर टीवी के आगे चिपक जाते है. बहुत से लोगो को अपने बाप के बाप का नाम पता नहीं होता लेकिन क्रिकेटर की तीन पीढ़ी को जानते है. इसी दीवानगी और पागलपन का फ़ायदा उठाकर कुछ चालबाज लोगो ने आई.पी.एल का शगूफा चालु किया और धनकुबेर बन गए. और बड़े बड़े उधोगपतियो के लिए क्रिकेट एक कमाऊ धंधा बन गया है. अगर गहराई से जांच की जाए तो फिक्सिंग के इतने पाप छुपे मिलेंगे की गिनना भारी हो जाएगा. मात्र दो चार मैच खेलने के बाद क्रिकेटर मालामाल हो जाता है लेकिन दुसरे खेलो में जीतने पर भी दो वक्त का लंच ही नसीब होता है.
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