Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
सुन कर फांसी की सजा गया कसाई कांप
फंसा न्याय के जाल में दुष्ट ‘लश्करी’ सांप
दुष्ट ‘लश्करी’ सांप, बैठ कर बिल में सोचे
देख ‘मृत्यु’ सन्निकट विषैली केंचुल नोचे
दिव्यदृष्टि दर्जनों डस गया जालिम चुन कर
गया कसाई कांप सजा फांसी की सुन कर
बने विधायक मगन हो भर मन में उत्साह
लेकिन अब होने लगा उनको कष्ट अथाह
उनको कष्ट अथाह चाह ‘सेवा’ की भागी
जन-सेवक जी बने महज ‘मेवा’ अनुरागी
दिव्यदृष्टि पब्लिक की काटें जेब निठल्ले
फिर भी पायें डबल तरक्की बल्ले-बल्ले
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