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Old 08-12-2010, 01:01 PM   #39
ABHAY
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Post Re: ~!!चन्द्रकान्ता!!~

इधर रामनारायण, बद्रीनाथ और ज्योतिषीजी राह देख रहे थे कि अब दोनों आदमी खाने का सामाना लाते होंगे, मगर कुछ नहीं, यहाँ तो मामला ही दूसरा था। उन लोगों को शक हो गया कि कहीं दोनों गिरफ्तार न हो गये हों, मगर यह खयाल में न आया कि भगवानदत्त असल में दूसरे ही कृपानिधान थे।

उस रात को कुछ न कर सके पर सवेरे सूरत बदल कर खोज में निकले। पहले महाराज जयसिंह के दरबार की तरफ चले, देखा कि तेजसिंह दरबार में जा रहे हैं और उसके पीछे-पीछे दस-पन्द्रह सिपाही कैदी की तरह पन्नालाल को लिये चल रहे हैं। उन ऐयारों ने भी साथ-ही-साथ दरबार का रास्ता पकड़ा।

तेजसिंह पन्नालाल को लिए दरबार में पहुंचे, देखा कचहरी खूब लगी हुई है, महाराज बैठे हैं, वह भी सलाम कर अपनी कुर्सी पर जा बैठे, कैदी को सामने खड़ा कर दिया। महाराज ने पूछा, ‘‘क्यों तेजसिंह किसको लाये हो ?’’तेजसिंह ने जवाब दिया, ‘‘महाराज, उन पांचों ऐयारों में से जो चुनार से आये हैं एक गिरफ्तार हुआ है, इसको सरकार में लाया हूँ। जो इसके लिए मुनासिब हो, हुक्म किया जाये।’’

महाराज गौर के साथ खुशी भरी निगाहो से उसकी तरफ देखने लगे और पूछा, ‘‘तेरा नाम क्या है ?’’ उसने कहा, ‘‘मक्कार खां उर्फ ऐयार खां।’’ महाराज उसकी ढिठाई और बात पर हँस पड़े, हुक्म दिया, ’’बस इससे ज्यादा पूछने की कोई जरूरत नहीं, सीधे कैदखाने में ले जाकर इसको बन्द करो और सख्त पहरे बैठा दो।’’ हुक्म पाते ही प्यादों ने उस ऐयार के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ी डाल दी और कैदखाने की तरफ ले गये। महाराज ने खुश होकर तेजसिंह को सौ अशर्फी इनाम में दीं। तेजसिंह ने खड़े होकर महाराज को सलाम किया और अशर्फियाँ बटुए में रख लीं।

रामनारायण, बद्रीनाथ और ज्योतिषीजी भेष बदले हुए दरबार में खड़े यह सब तमाशा देख रहे थे जब पन्नालाल को कैदखाने का हुक्म हुआ, वे लोग भी बाहर चले आये और आपस में सलाह कर भारी चालाकी की। किनारे जाकर बद्रीनाथ ने तो तेजसिंह की सूरत बनाई और रामनारायण और ज्योतिषीजी प्यादे बनकर तेजी के साथ उन सिपाहियों के साथ चले जो पन्नालाल को कैदखाने की तरफ लिये जा रहे थे। पास पहुंच कर बोले,. ‘‘ठहरो, ठहरो, इस नालायक ऐयार के लिए महाराज ने दूसरा हुक्म दिया है, क्योंकि मैंने अर्ज किया था कि कैदखाने में इसके संगी-साथी इसको किसी-न-किसी तरह छुड़ा ले जायेंगे, अगर मैं इसको अपनी हिफाजत में रखूंगा तो बेहतर होगा क्योंकि मैंने ही इसे पकड़ा है, मेरी हिफाजत में यह रह भी सकेगा , सो तुम लोग इसको मेरे हवाले करो।’’
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