Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
मेरा इतना कहना की उधर से रीना की खनकती हुई आवाज गुंजी-
ओह तो यह बात है, पटना जाने की खबर मिलने से यह नाराज है। चलो फिर ठीक है मनाने की कला तो मुझे आती ही है यह सोचते हुए मैने भी जबाब दे दिया।
‘‘ तोरे ले जा रहलिए हें, बाबूजी खोजथुन डाक्टर, इंजिनियर दुल्हा त हमरा तैयारी करे ने पड़तै।’’
’’बाबूजी जे खोजथीन ओकरे से बियाह करे के रहतै हल त तोरा से काहे ले खोसामत करतिए हल। हमरा डाक्टर-इंजिनियर नै चाही, हमरा तोरा से मतलब है, जइसन हहीं औसने जादे नै।’’
मतलब साफ था की वह बहुत गुस्से में थी और वह मुझे दूर जाता नहीं देखना चाहती थी। चाहता तो मैं भी नहीं था पर जब कल की सोंचता तो चिंता बढ़ जाती और फिर विवश होकर कल के लिए प्रयास करने लग जाता। चार पांच सालों से साथ साथ रहते हुए जुदा होने की सोंच कर भी मन घबड़ा जाता पर होना तो था ही, सो मैने मन को कठोर कर लिया।
आज अहले सुबह जब रीना निकली तो उससे आगे आगे मैं जा रहा था और फिर एक प्रेम पत्र उसके आगे गिरा कर मैं चलता रहा उसने उठाया की नहीं मैं मुड़ कर नहीं देख पाया पर उसने जबाब दिया-
‘‘ हमरा पता है कि एकरा में की लिखल है, इ सब से काम नै चलतौ।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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