Re: खबरें अजब-गजब
फाइनली राव ने खुद अपनी किताबें निकालने का फ़ैसला लिया. 1992 में आई उनकी किताब 'रामदास' गुरु-शिष्य रिश्ते पर आधारित एक ऐसी किताब थी, जिसने बहुत वाह-वाही लूटी. इसके अलावा उनके द्वारा लिखित 'नर्मदा' का अंग्रेजी में भी अनुवाद हो चुका है.
हिंदी में मास्टर की डिग्री रखने वाले राव इन्टरनेट के प्रति खासी जानकारी नहीं रखते, पर अपने बड़े बेटे की सहायता से अपनी पहचान सोशल मीडिया पर बनाने में कामयाब हुए हैं. उनकी किताबें आज फ्लिप्कार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म के ज़रिये लोगों तक पहुंच रही हैं.
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