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Originally Posted by pavitra
इन्सान व्यर्थ ही दूसरों से ईर्ष्या करता है , और ऐसा वही व्यक्ति करता है जो हीन भावना का शिकार होता है , जिसे खुद पर यकीन ना हो कि वो जीवन में कुछ भी अच्छा कर सकता है । ईर्ष्या करके हमें कुछ भी हासिल नहीं होता सिवाय मानसिक अशान्ति के । इन्सान जितना समय दूसरों से ईर्ष्या करने में बर्बाद करता है अगर उतना समय वह खुद को बेहतर करने में लगाए तो परिणाम ज्यादा सुखद होंगे ।
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आपकी आभारी हु पवित्रा जी , जी इस विष से जितना दुर रहा जय ऊतना ही अच्छा है खुद के लिए. इर्ष्या समस्यायें बढातीं हैं . इर्ष्या से कभी किसी का भला नहीं हुआ ... सार्थक टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद पवित्रा जी