Re: प्रेरक प्रसंग
बचपन से ही नानक साधु-संतो के साथ रहना पसंद करते थे. अपने गांव तलवंड़ी से कुछ दूर जंगल में घूमते थे. एक बार उनके पिता ने काम-धंधा करने के लिए उन्हें कुछ रुपये दिये. संयोंग से नानक को कुछ साधु मिल गये. ये साधु कई दिन से भूखे थे.
नानक के पास जो कुछ था, साधुओं के खाने-पीने पर खर्च कर दिया. सोचा
" भूखो को भोजन कराने से बढ़कर ज्यादा फायदे की बात भला और क्या हो सकती है. यह सौदा ही सच्चा सौदा है.’’
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