Re: सहिष्णुता और असहिष्णुता की बहस
कहां है असहिष्णुता?
साभार: रवीश कुमार
कल देर रात तक टार्च की रौशनी में खोजता रहा
पुकारता रहा ज़ोर ज़ोर से
कहाँ हो, कहाँ हो ये तो बता दो
असहिष्णुता
किसी ने कहा वो थी तो पहले थी
अब है न होगी
उनके दौर में थी तो सब सहिष्णु थे
हमारे दौर में है तो सब असहिष्णु हैं
टार्च की मोटी दूधिया रौशनी में ढूँढता रहा
असहिष्णुता को
क्या तुम दरियागंज में हो या गोरखपुर में
सरस्वती शिशु मंदिर में हो या जे एन यू में
रात अब सुबह की तरफ ढलने लगी थी
टार्च की बैटरियाँ सुस्त होने लगी थीं
थकता चिल्लाता पुकारता रहा मैं दम भर
कहां हो असहिष्णुता
क्या तुम सचमुच नहीं हो
तुम नहीं थी तो सहिष्णुता कौन थी
तुम नहीं हो तो सहिष्णुता कौन है
गूगल सर्च करो और ट्वीट करो
किसी ने देखी है असहिष्णुता
जकरबर्ग की संतानों ने चिल्लाना शुरू कर दिया
हम सब कैंडी क्रश से परेशान आवाम हैं
मुल्क में यही तो मोहब्बत का बचा पैग़ाम है
लाइक अनलाइक से आगे जाकर कमेंट कमेंट के खेल में
हमने रची है एक ऐसी दुनिया
या तुम मेरे साथ या फिर उनके साथ
जाओ उधर या रहो इधर
इधर नहीं तो तुम पाकिस्तान हो
इधर नहीं तो तुम मुसलमान हो
इधर ही सब कुछ हर मन को भाने वाला
राष्ट्रवाद कहलाने वाला
गद्दार और देशद्रोही वो होते हैं
जो असहिष्णुता खोजते हैं
टार्च की रौशनी धूमिल हो रही थी
टीवी पर चिल्लाने वाले एंकरों ने गढ़ी है
एक ख़ास किस्म की सहिष्णुता
सुनो उनकी या फिर गिड़गिड़ाओ उनसे
गरम ख़ून है टीवी का
रोज़ रात को हम सबको एंकर ही तो सहिष्णु बनाता है
देशभक्ति और देशद्रोही का फ़रमान लेकर नाचता है
असहिष्णु कौन हैं यहाँ पर जो खोज रहे हो
इस आवाज़ से टार्च की रौशनी काँप गई थी
भोर के वक्त चिड़िया घोसला छोड़ चुकी था
आसमान से एक फ़रमान चला आ रहा था
तुम्हीं ही हो, तुम्हारे सिवा कोई और नहीं है
असहिष्णु तुम हो
मैं हूँ ?
हां तुम हो
तुम हो असहिष्णुता
जिस रात में तुमने टार्च जलाई है
जानते हो वो रात किस दल की है
तब भी तुम खोजने निकले हो
असहिष्णुता
सहिष्णु तो हम हैं जो तुम से कह रहे हैं
कहां है असहिष्णुता
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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