Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत
छुप जाती हैं आइना दिखा कर तेरी यादें,
सोने नहीं देतीं मुझे शब् भर तेरी यादें
तू जैसे मेरे पास है और माहो-ए-सुखन है,
महफ़िल सी जमा देती हैं अक्सर तेरी यादें
मैं क्यों ना फिरूं तपती दोपहरों में अक्सर,
फिरती हैं तसव्वुर में खुले सर तेरी यादें
जब तेज हवा चलती है बस्ती में सरेशाम,
बरसती हैं इतराफ से पत्थर तेरी यादें।
-नासिर काजमी
|