Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
गाँव में फिल्म का प्रचार
ग्रामीण इलाकों में फिल्म को शुरू में इतनी सफलता नहीं मिली. जब फालके साहब अपनी फिल्म को ले कर एक गाँव में गए तो बहुत कम लोग फिल्म देखने आये. दादा ने मैनेजर से पूछा कि क्या बात है तो उसने उत्तर दिया, “इस गाँव के लोग लम्बे लम्बे नाटक देखने के आदि हैं. दो आने के टिकट में साढ़े छः घंटे अवधि वाला नाटक. आपकी फिल्म तो डेढ़ घंटे में ख़त्म हो जाती है. दूसरे दिन दादा ने गाँव में इस प्रकार प्रचार करवाया –
“राजा हरिश्चंद्र में देखिये सत्तावन हजार फोटो. दो मील लम्बी फिल्म सिर्फ तीन आने में.” इस प्रचार का मुनासिब असर हुआ और लोग उत्साहित हो कर सिनेमा स्थल की ओर आने लगे.
Last edited by rajnish manga; 05-03-2013 at 10:17 PM.
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