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Originally Posted by abhisays
कांग्रेस का हाल बहुत ही बुरा है, मध्यम वर्ग तो कांग्रेस के बुरी तरह खिलाफ है. ऐसे में कांग्रेस के पास केवल पिचड़ो और मुस्लिम वोट बैंक का ही आसरा है. कांग्रेस को पता है एक आम मुस्लिम कभी भी भाजपा को वोट नहीं देगा, इसलिए हमेशा इनको बहलाने फुसलाने की कोशिश करते रहते हैं, खासकर चुनाव के वक़्त. लेकिन उत्तर प्रदेश में मुस्लिमो के पास मुलायम का आप्शन था इसलिए कांग्रेस की वहां दाल नहीं गली. और पिचड़ो का वोट मायावती के पास ही रहा, ब्राह्मण वोट इधर उधर बट गया.
अब कांग्रेस को पता लग गया है की आरक्षण और वोट बैंक की राजनीति करने से कुछ नहीं होने वाला. जनता को हर बार बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता. इन सबके बीच में राहुल गाँधी का राजनैतिक सफ़र डावाडोल नज़र आ रहा है. कांग्रेस गाँधी परिवार को अपना ब्रह्मा अस्त्र मानती चली आई है जो केवल चुनाव में बाहर निकलता है. लेकिन इस बार यह बेअसर साबित हुआ. सवाल है कब तक जनता एक ही परिवार के आगे पीछे करती रहेगी.
राहुल गाँधी मुझे तो लम्बी रेस के घोड़े नहीं लगते. इनकी राजनैतिक समझ पर मुझे शक है, यह वही बोलते है जो इनको दिग्विजय सिंह या अहमद पटेल बोलते है. राजनीति में अभी यह काफी कच्चे हैं. बिहार में चन्द छात्रों के सामने दम दबा कर भाग खड़े हुए थे. उसका विडियो जब भी देखता हूँ, हँसी आ जाती है.
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आपने यह सच कहा है, लेकिन अब देश का मुसलमान भी यह हकीक़त समझ गया है कि कांग्रेस उसे सिर्फ बरगलाती है, उसके लिए इस पार्टी ने कभी कुछ नहीं किया ! जहां तक राहुल गांधी की बात है, एक बहुत पुरानी कहावत है कि जैसी संगत होती है, व्यक्ति वैसा ही हो जाता है और यह उन पर पूरी तरह फिट बैठ रही है ! याद कीजिए उत्तर प्रदेश चुनाव के समय के उनके बयान और कुछ कार्यवाहियां ! जब तक वे अपनी संगत नहीं सुधारेंगे, तब तक न तो उनका व्यक्तित्व सुधरेगा, न छवि !