Re: पंचतत्व में विलीन हुए मन्ना de
पश्चिम बंगाल सरकार ने मन्नाडे का शव प्राप्त नहीं होने पर अफसोस जताया
पश्चिम बंगाल सरकार ने मशहूर गायक मन्ना डे की अंत्येष्टि बंगाल में नहीं कर पाने पर अफसोस जाहिर किया। सरकार ने गायक का पार्थिव शरीर बंगाल लाने का आग्रह किया था लेकिन उनके परिवार वालों से इससे इंकार कर दिया। वरिष्ठ मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि गायक की अंत्येष्टि यहां नहीं कर पानक से हम बहुत दुखी हैं क्योंकि हम ऐसा करना चाहते थे। मुखर्जी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनका शव यहां लाए जाने की प्रबल इच्छा जताई थी ताकि उनकी :मन्नाडे: अंत्येष्टि यहां अच्छी तरह और सम्मानपूर्वक तरीके से हो।’’ उन्होंने बताया कि मन्ना डे के निधन की खबर सुनते ही मुख्यमंत्री ने डे की बेटी से उनका शव यहां लाने का अनुरोध किया। मुखर्जी ने कहा, ‘‘लेकिन हम इससे वंचित रह गए और हम इसे लेकर बहुत दुखी हैं क्योंकि उनका जन्म कोलकाता में हुआ था और वह एक बंगाली थे।’’ मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार गायक को उपयुक्त श्रद्धांजलि अर्पित करेगी ताकि आने वाले बरसों में संगीत प्रेमियों के मन में उनकी याद हमेशा बनी रहे। दादा साहेब पुरस्कार से सम्मानित मन्ना डे का आज सुबह बेंगलूर में निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। वह फेफड़े के संक्रमण से ग्रसित थे। बेंगलूर शवदाह गृह में उनकी अंत्येष्टि की गई। बाद में, फेसबुक पर एक पोस्ट में ममता ने कहा कि जब वह डे से बेंगलूर में मिली थी तब उन्होंने उन्हें विशेष संगीत महासम्मान पुरस्कार सौंपा था। उन्होंने डे को कोलकाता में ‘अपने साथ रहने’ का प्रस्ताव भी दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘वह :मन्ना डे: इसे सुनकर खुश हुए थे और ऐसा करने की अपनी इच्छा जताई थी। लेकिन यह हो न सका।’’ मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने डे का शव विशेष विमान से कोलकाता लाने के लिए उनके परिवार के लोगों से अनुरोध किया था ताकि उन्हें अंतिम विदाई दी जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन ऐसा नहीं हो सका।’’ उन्होंने कहा कि मन्ना दा और उनके अमर नगमें हमारे साथ बने रहेंगे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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