Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
दर्द निवारक दवा से दिल के दौरे का खतरा
नई दिल्ली। दर्द से राहत दिलाने वाली दवाइयां आपके दिल को गहरा दर्द दे सकती हैं। ताजा वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करने वाले लोगों में से 30 प्रतिशत लोगों को पहली बार दिल के दौरे पड़ने के एक साल के भीतर दूसरी बार दिल के दौरे पड़ने अथवा या अन्य दिल की अन्य बीमारियों के कारण मौत होने का खतरा होता है। अक्सर चिकित्सक पहली बार दिल के दौरे से उबर चुके लोगों को दर्द निवारक दवाइयां सेवन करने की सलाह देते हैं लेकिन एक ताजा अध्ययन में पाया गया है कि ऐसी दवाइयों के सेवन से उनमें दिल का दूसरा दौरा पड़ने और जल्दी मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है। अन्य अध्ययनों से पाया गया है कि आइबूप्रोफेन और एस्पिरिन जैसी दर्द निवारक दवाइयों का अंधाधुंध सेवन अनियमित हृदय गति का कारण बन सकता हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार इन दवाओं के सेवन से दिल की धड़कन के अनियमित होने का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यही नहीं चिकित्सक की सलाह के बगैर इन दवाइयों के इस्तेमाल से किडनी की समस्याएं, पेट में अल्सर और रक्तस्राव होने जैसे गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ तथा मेडिकल कांउसिल आफ इंडिया (एमसीआई) के संचालन बोर्ड के सदस्य डॉ. पुरुषोत्तम लाल बताते हैं कि कई दर्दनिवारक दवाइयों के लंबे समय तक इस्तेमाल करने से न सिर्फ लीवर और किडनी के खराब होने का खतरा रहता है बल्कि इनसे दिल के दौरे पड़ने तथा हृदय सम्बंधित समस्याएं होने का खतरा भी हो सकता हैं। किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र कुमार कहते हैं कि दर्दनिवारक दवाइयां हल्के दर्द में तो राहत दे सकती है, लेकिन इनका लगातार सेवन बड़ी मुशिकलें पैदा कर सकता है। हमारे पास कई ऐसे मरीज भी आते हैं, जिनकी किडनी ठीक तरह से काम नहीं कर रही होती है। कुछ में अल्सर की समस्या होती है और किसी के पेट में ब्लीडिंग की समस्या भी रहती है। लेकिन विस्तृत जानकारी लेने पर पता चलता है कि मरीज दर्द निवारक दवाइयों के आदी है। ऐसे मरीज खासतौर पर एनएसएआईडी नॉन स्टीरयड एंटी एंलेमेटरी ड्रग ग्रुप की दवाइयां लंबे समय से ले रहे होते हैं। अगर इनमें से कोई भी समस्या हो तो दर्द निवारक लेना तत्काल बंद कर देना चाहिए। डॉ. कुमार के अनुसार हालांकि पैरासिटामोल जैसी सुरक्षित दवाइयां बहुत जरूरी होने पर बहुत सीमित समय के लिए ली जा सकती हैं, लेकिन चिकित्सक की सलाह के बगैर इनका अधिक समय के लिए इस्तेमाल करना खतरनाक साबित हो सकता है। अक्सर कई महिलाएं मासिक स्राव के दिनों में दर्द से बचने के लिए पेन किलर ले लेती हैं। हालांकि उन्हें इसके सेवन से दर्द से राहत महसूस होती है, पर इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से एसिडिटी, गैसट्राइटिस, पेट में अल्सर आदि की समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए दर्द कम करने के लिए अगर पेन किलर ले रहे हों तो यह भी याद रखें कि इससे दर्द बढ़ भी सकता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि नैर्पोंक्सेन के सेवन से अन्य एनएसएआईडी की तुलना में दिल के दौरे या स्ट्रोक का खतरा कम होता है लेकिन ऐसे कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं कि कुछ एनएसएआईडी दिल के लिए सुरक्षित हैं। बल्कि कुछ अध्ययनों में तो पाया गया है कि ये एस्पिरिन के हृदय को सुरक्षा प्रदान करने वाले प्रभाव को कम कर सकते हैं। इसलिए अगर आप दिल के दौरे या स्ट्रोक की रोकथाम के लिए एस्पिरिन का सेवन करते हैं तो इसके साथ अन्य दवाइयों का सेवन चिकित्सक की सलाह से ही करें। साठ साल से अधिक उम्र के लोगों मे दिल के दौरे की रोकथाम के लिए रोजाना एस्पिरीन का सेवन करने वाले लोगों में पेट से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है खासकर जिनके परिवार में अल्सर या पेट से रक्तस्राव का इतिहास रहा हो उनमें यह खतरा और भी बढ़ जाता है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
|