बसंत दो-चार बार टेक्सी खराब होने का बहाना निकाल कर रास्ते में रुक जाता था। जहां उसे बातो का ओर समय मिल जाता था। एक महिने बाद कामना का पैर ठीक हो गया था। उस दिन लोटते वक्त कहा की उसे टेक्सी की जरुरत नहीं है। बसंत उसे दुसरे रास्ते कहीं ओर ले गया, कामना उसे रोकती रही लेकिन वह नहीं रुका। जब किसी जगह वह बात करने को रुका तब कामना ने कोई बात नहीं की बस रोती रही।
तब बसंत अपने प्रेम का इज़हार करता है और कहता है की अगर वह ड्राईवर है क्या ईस लिय कामना उसे नहीं स्वीकार कर सकती?
वापस लौटते समय दोनों चुप थे, कामना शायद कुछ सोच रही थी। अगले दिन स्कुल में छुट्टी थी। बसंत ने उसको पुछा के क्या वह कल मिलने आएगी? तब कामना "हां" कह कर उतर जाती है! बसंत के जीवन में सच में बसंत खिल गई थी!