Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
बहमन ने कहा, यह तुम झूठ कह रही हो। कुछ ऐसा है जरूर जो तुम्हें दुख दे रहा है। अगर तुम नहीं बताओगी तो हम तुम्हारे पास से उठ कर नहीं जाएँगे। जब परीजाद ने देखा कि दोनों भाई बात के जानने पर अड़े हुए हैं तो उसने कहा, मैं तुम्हें इसलिए नहीं बताती थी कि जो मैं कहूँगी उससे तुम चिंता और कष्ट में पड़ जाओगे। अब तुम जिद कर रहे हो तो बताए देती हूँ। हमारे पिता ने यह महल हमारे लिए बनवाया था और अपनी समझ में उन्होंने सुंदरता और सजावट की कोई चीज यहाँ लाने से न छोड़ी। मैं भी अभी तक यही समझती थी कि इसमें कोई कमी नहीं है किंतु आज मुझे तीन चीजों के बारे में मालूम हुआ कि अगर यहाँ आ जाएँ तो हमारा महल अद्वितीय हो जाए।
शहजादों ने कहा, कौन-सी चीजें हैं वे? परीजाद बोली, एक तो आदमियों जैसा बोलनेवाला बुलबुल हजार दास्ताँ है जिसका संगीत सुनने और जिसके स्वर में स्वर मिला कर गाने के लिए हजारों पक्षी आ जाते हैं। दूसरा गानेवाला पेड़ जिसके पत्तों के रगड़ खाने से संगीत निकलता है। तीसरे सुनहरा पानी है जिसकी एक बूँद ही से कभी न खत्म होनेवाला फव्वारा बन जाता है। मैं इसी चिंता में हूँ कि इन्हें कैसे प्राप्त करूँ। बहमन ने कहा, अगर तुम यह बता दो कि कहाँ या किस ओर जाने से यह चीजें मिंलेगी तो मैं कल सुबह ही रवाना हो जाऊँ। परवेज ने उसे उद्यत देख कर कहा, भैया, तुम्हारी बुद्धि और बल में संदेह नहीं किंतु अच्छा हो अगर तुम यहाँ रह कर यहाँ का कामकाज सँभालो। बहमन बोला, साहस और बुद्धि तुम में भी कम नहीं है। लेकिन मैं बड़ा हूँ, इसलिए इस मामले में आगे मुझी को होना चाहिए।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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