Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
तुम फिर पहाड़ पर चढ़ना। तुम अपने दोनों ओर काले पत्थर काफी अधिक संख्या में देखोगे। उन पर तुम ध्यान न देना। इसके अलावा अपने पीछे से आते हुए बहुत-से अपशब्द और धमकियाँ सुनोगे। यह बहुत जरूरी है कि तुम इन गालियों की पूर्ण उपेक्षा कर दो। अगर तुमने एक बार भी डर कर पीछे की ओर देखा तो तुम और तुम्हारा घोड़ा दोनों काले पत्थर बन जाएँगे। तुम्हें राह में मिलनेवाले काले पत्थर भी तुम्हारी तरह उन तीन चीजों की खोज में जानेवाले आदमी थे। पीछे देखने के कारण वे पत्थर बन गए हैं। अगर तुम कुशलतापूर्वक पहाड़ की चोटी पर पहुँच गए तो वहाँ एक वृक्ष पर टँगा हुआ पिंजड़ा मिलेगा जिसमें गानेवाली चिड़िया मौजूद है। उस चिड़िया की बातों से भी न डरना और उससे गानेवाले पेड़ और सुनहरे पानी का पता पूछना। वह तुम्हें बताएगी कि यह चीजें कहाँ मिलेंगी। इन सब चीजों को पाने के बाद तुम्हारी राह में कोई खतरा नहीं रहेगा। मैंने यह सब तुम्हें बता जरूर दिया है लेकिन मेरा अब भी यही कहना है कि तुम वापस लौट जाओ। मैं साफ देख रहा हूँ कि तुम वहाँ गए तो काला पत्थर बन कर रह जाओगे।
बहमन ने कहा, अब जो होना है वह हो ही कर रहेगा, मैं पीछे तो लौटता नहीं। यह कह कर शहजादे ने घोड़ा खोला और उस पर सवार हो कर तपस्वी की दी गई गेंद गिरा दी। गेंद लुढ़कती हुई आगे को चली। काफी दूर जाने पर गेंद एक पहाड़ की तलहटी पर रुक गई जहाँ ऊपर जाने के लिए एक तंग रास्ता था। शहजादे ने घोड़े से उतर कर उसकी गर्दन पर लगाम डाली और पहाड़ पर चढ़ने लगा। कुछ दूर जाने पर उसे बड़े-बड़े काले पत्थर दिखाई दिए। इसके आगे चार-पाँच कदम ही चला था कि पीछे से बड़ी अप्रिय आवाजें आने लगीं। कोई आवाज होती, यह कौन बेवकूफ आगे चला जा रहा है, पकड़ो इसे। कभी आवाज आती, यह बड़ा दुष्ट है, इसे पकड़ कर मार डालो। कभी चीखती और गरजती आवाजें आतीं, वह जा रहा है चोर, खूनी, बदमाश। घेर लो इसे। कभी हलकी-सी आवाज आती, इसे पकड़ कर बाँधे रखना, यह बोलती चिड़िया को चुराने के लिए आया है। कभी कोई यह कहता जान पड़ता, यह वहाँ पहुँच कहाँ पाएगा, रास्ते में छुपे गढ़े में गिर कर मर जाएगा।
पहले बहमन ने इन आवाजों की उपेक्षा की और अपनी राह पर बढ़ता चला गया। किंतु यह आवाजें कम होने के बजाय कदम-कदम पर तेज ही होती गईं और उसके कानों के परदे फटने लगे और दिमाग सुन्न हो गया। तपस्वी ने उसे जो बताया था वह भी उसके दिमाग से निकल गया और एक बार डर कर पीछे देखने लगा। तुरंत ही वह और घोड़ा दोनों काले पत्थरों के रूप में बदल गए।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 13-11-2017 at 11:14 PM.
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