Re: आयुर्वेदिक औषधियां
अग्निमांद्य
पहचान
अल्प मात्रा में लिया गया आहार भी ठीक से न पचे, मस्तक और पेट में वजन मालूम पड़े और शरीर में हड़फुटन हो तो समझिए कि अग्निमांद्य से पीड़ित हैं अर्थात् पेट में भूख की अग्नि (तड़प) मंद हो रही है या पाचन-क्रिया की गति कम हो गई है।
कारण
1. सामान्य कारण:- अजीर्ण होने पर भी भोजन करना, परस्पर विरुद्ध आहार लेना, अपक्व (कच्चा) भोजन करना, द्रव पदार्थों का अधिक सेवन करना, ज्यादा गरम तथा ज्यादा खट्टे पदार्थों का सेवन, भोजन के बाद अथवा भोजन के बीच में पानी पीने का अभ्यास, कड़क चाय का अति सेवन आदि।
2. विशिष्ट कारण:- खाने की नली की बनावट जन्म से ही विकृतमय होना, आँतपुच्छ में सूजन, खून की कमी, एस्प्रीन सैलीसिलेट्स आदि का अधिक सेवन।
लक्षण
इसका प्रमुख लक्षण खाने के बाद पेट भारी रहना है। मुँह सूखना, अफारा, जी मिचलाना, भोजन के प्रति अरुचि, भूख न लगना, दुर्बलता, सिर में चक्कर खाना, मुँह से धुँआँ जैसा निकलना, पसीना आना, शरीर में भारीपन होना, उलटी की इच्छा, मुँह में दुर्गंध, मुँह में पानी भर आना, खट्टी डकारें आना आदि।
घरेलू योग
1. अग्निमांद्य में गरम पानी पीना चाहिए।
2. भोजन करने से पहले अदरक की कतरन में सेंधा नमक डालकर चबाने से भूख खुलती है एवं अग्निमांद्य नष्ट होता है।
3. सिरका और अदरक बराबर-बराबर मिलाकर भोजन से पहले नित्य खाने से अग्निमांद्य दूर होगा।
4. घी से युक्त खिचड़ी के प्रथम निवाले के साथ हिंग्वष्टक चूर्ण खाने से अग्निमांद्य दूर होगा।
5. लवणभास्कर चूर्ण को गाय के दूध की छाछ के साथ नित्य लेने से अग्निमाद्य नष्ट होता है।
6. बथुए का रायता नित्य सेवन करने से भोजन में रुचि बढ़ती है और भूख खुलकर लगती है।
7. दोनों समय के भोजन के बीच पाँच घंटे का फासला रखकर दोपहर का भोजन 10 बजे एवं शाम का भोजन 5 बजे तक कर लें। भोजन के पहले एवं बाद में पानी नहीं पीने से खाया हजम होकर भूख खुलेगी, जिससे अग्निमांद्य दूर होगा।
8. भोजन में कद्दू एवं लौकी का रायता खाने से खाना जल्दी पचता है।
9. दिन भर में केवल एक बार ही भोजन करने से एवं एक समय फलाहार लेने से भी अग्निमांद्य नष्ट होता है।
10. भूख से कम एवं खूब चबा-चबाकर खाने से भोजन जल्दी पच जाएगा एवं भूख की मंद अग्नि दूर होगी।
आयुर्वेदिक योग
1. पंचारिष्ट या पंचासव सीरप- किसी एक की दो-दो चम्मच सुबह-शाम भोजन के बाद लें।
2. आरोग्यवर्दिनी वटी, गैसांतक वटी, गैसेक्स, यूनीइंजाम-इनमें से किसी एक की दो-दो वटी भोजन के बाद सुबह-शाम छाछ के साथ लें।
3. लवणभास्कर चूर्ण, पंचसकार चूर्ण, हिंग्वष्टक चूर्ण में से कोई भी एक चम्मच पाचक चूर्ण गरम पानी के साथ लें।
पथ्य
सलाद, छाछ, खिचड़ी, हरी सब्जियाँ एवं रसेदार पदार्थ खाना पथ्य है।
अपथ्य
भूख नहीं लगने पर भी भोजन करना, चाय-कॉफी अधिक मात्रा में लेना, बासी खाना अपथ्य है।
बचाव
भोजन करके दिन या रात में तुरंत नहीं सोना चाहिए।
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