पथरी में अमृत है कुलथी
कुलथी उड़द के समान होती है। रंग इसका लाल होता है। इसकी दाल बनाकर रोगी को दी जाती है, जिससे पथरी निकल जाती है। इसे पथरीनाशक बताया गया है। गुर्दे की पथरी और मसाने की पथरी के लिए यह फायदेमंद औषधि है। आयुर्वेद में गुणधर्म के अनुसार कुलथी में विटामिन ए पाया जाता हैे। यह शरीर में विटामिन ए की पूर्ति कर पथरी को रोकने में मददगार है। बाजार में पंसारी की दुकान पर यह आसानी से मिल जाती है।
प्रभाव
कुलथी के सेवन से पथरी टूटकर या धुलकर छोटी हो जाती है, जिससे पथरी सरलता से मूत्राशय में जाकर पेशाब के रास्ते से बाहर आ जाती है। मूत्रल गुण होने के कारण इसके सेवन से पेशाब की मात्रा और गति बढ़ जाती है, जिससे रूके हुए पथरी कण पर दबाव ज्यादा पड़ने के कारण वह नीचे की तरफ खिसक कर बाहर हो जाती है।
इस्तेमाल
1 सेंटीमीटर से छोटी पथरी में यह सफ ल औषधि है। 25 ग्राम कुलथी को 400 मिलीलीटर पानी में पकाकर लगभग 100 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर 50-50 मिलीलीटर सुबह शाम एक माह रोगी को पिलाने से पेशाब के साथ निकल जाती है। लेने के पहले और बाद में जांच करवा लें, नतीजा सामने आ जाएगा। इसे अन्य दाल की तरह भी खाया जा सकता है। कुलथी 25 ग्राम लेकर मोटी-मोटी दरदरी कूटकर 16 गुने पानी में पकाएं, चौथा भाग पानी शेष रहने पर उतारकर छान लें, इसमें से 50 मिलीलीटर सुबह शाम लेते रहें। इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिला लें।
पथरी दुबारा ना हो
जिस व्यक्ति को एक बार पथरी पैदा हो जाती है, उसे फिर से होने का भय बना रहता है। इसलिए पथरी निक ालने के बाद भी रोगी कभी-कभी इसका सेवन करते रहें। कुलथी पथरी में अमृत के समान है।
-वैद्य बंकटलाल पारीक