23-09-2013, 11:11 PM
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#161
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by Dr.Shree Vijay
गुम है किसी के प्यार में, दिल सुबह शाम !....
पर तुम्हे लिख नहीं पाऊं, मैं उसका नाम !...............
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मैं ख्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है,
सरे आइना मेरा अक्स है,पसे आइना कोई और है.
मैं किसी के दस्ते तलब में हूँ तो किसी के हर्फे दुआ में हूँ
मैं नसीब हूँ किसी और का मुझे मांगता कोई और है
अज़ब ऐतबारों पे ऐतबार के दरमियान है ज़िंदगी
मैं करीब हूँ किसी और के मुझे जानता कोई और है
तुझे दुश्मनों की खबर न थी मुझे दोस्तों का पता नहीं
तेरी दास्तां कोई और थी मेरा वाकया कोई और है
वही मुन्सिफों की रिवायतें वही फैसलों की इबारतें
मेरा जुर्म तो कोई और था ये मेरी सजा कोई और है
जो मेरी रियाज़ते नीम शब को सलीम सुबहो न मिल सके
तो फिर इसके माने तो ये हुए की यहाँ खुदा कोई और है.
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