Re: डार्क सेंट की पाठशाला
समय को बरबाद क्यों करें
अक्सर हम यह कह देते हैं कि समय कम है। ऐसा कह कर हम बच नहीं सकते। यह तो जीवन की एक सच्चाई है। अगर समय कम है, तो फिर समझदारी इसी बात में दिखती है कि हम इसे जरा भी बर्बाद न करें। दरअसल जिंदगी में सफल वही होते हैं, जो जीवन से आखिरी बूंद की संतुष्टि और ऊर्जा भी निचोड़ लेते हैं। वे इसी सरल नियम पर अमल करके ऐसा करते हैं। वे अपने जीवन में उन चीजों पर ही ध्यान देते हैं, जिन पर उनका नियंत्रण होता है और फिर वे बस, मितव्ययिता से (समय की दृष्टि से) बाकी चीजों की चिंता छोड़ देते हैं। अगर कोई आपसे सीधे मदद मांगता है, तो आप मदद कर सकते हैं या इनकार भी कर सकते हैं। चुनाव आपका है, लेकिन अगर सारी दुनिया आपसे मदद मांगने लगे, तो आपके वश में कुछ खास नहीं होता। इस बात पर खुद को कोसने से कोई फायदा नहीं होगा, सिर्फ समय ही बर्बाद होगा। कई ऐसे क्षेत्र होते हैं, जिनमें आप व्यक्तिगत फर्क डाल सकते हैं और बाकी क्षेत्र ऐसे होते हैं, जहां आप सुई की नोक बराबर भी फर्क नहीं डाल सकते। अगर आप किसी ऐसी चीज को बदलने में वक्त बर्बाद कर रहे हैं, जो कभी नहीं बदलने वाली, तो जिंदगी आपके पास से फर्राटे से गुजर जाएगी और आप मौके चूक जाएंगे। दूसरी ओर, अगर आप खुद को ऐसी चीजों या क्षेत्रों में समर्पित करते हैं, जिन्हें आप बदल सकते हैं या जहां आप फर्क डाल सकते हैं, तो जिंदगी ज्यादा समृद्ध और सार्थक बन जाएगी। जाहिर है, अगर हममें से ज्यादातर लोग मिलकर कोशिश करें, तो हम कुछ भी बदल सकते हैं। खुद से शुरू करें और फिर इसे बाहर की ओर फैलने दें। इस तरह उन लोगों को उपदेश देने में हमारा वक्त बर्बाद नहीं होगा, जो सुनना ही नहीं चाहते। हम उन चीजों में अपनी कोशिश, ऊर्जा या संसाधन बर्बाद नहीं करेंगे, जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है या जहां किसी भी तरह की सफलता तय नहीं है। जहां तक खुद को बदलने का सवाल है, परिणाम तय है। बेहतरीन परिणाम।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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