Re: मुहावरों की कहानी
एक दिन अमित के मामा का फोन आया। उन्होंने उसे घूमने के लिए शहर बुलाया था। अमित ने सुमित को भी अपने साथ चलने के लिए तैयार कर लिया। नियत दिन अमित के पिता राम अमित व सुमित को रेलवे स्टेशन छोड़ने आए। जिसके पास बिना मेहनत का ज्यादा पैसा होता है उसकी धन कमाने और बचाने की लालसा बढ़ती ही जाती है।अमित के पिता ने भी दोनों मित्रों को बिना टिकट रेल में बैठाकर समझाया कि किस तरह शहर पहुँचकर उन्हें स्टेशन के एक छोर पर स्थित टूटी हुई ग्रिल के रास्ते से बाहर निकलना है कि टिकट चेकर से बचा जा सके। अमित के पिता के जाते ही उसने अमित को खूब खरी-खोटी सुनाई।
उसे उसके पिता के दिए संस्कारों ने बिना टिकट यात्रा करने की अनुमति नहीं दी।दोनों मित्रों ने अगला कदम तय किया और भागकर टिकट खिड़की पहुँचगए। वहाँ यात्रियों की इतनी लंबी कतार लगी थी मानो कि एक अनार सौ बीमार जैसे-तैसे टिकट लेकर वे रेल में सवार हुए। थोड़ी ही देर बाद एक व्यक्ति ने उनसे पूछा कि बेटा मिठाई खाओगे। मिठाई देखकर सुमित के मुँह में पानी आ गया। उसने हाथ आगे बढ़ाया था कि अमित ने उसका हाथ खींच लिया। फिर धीरे से कानाफूसी करते हुए समझाया कि यात्रा में किसी भीअजनबी से लेकर कोई चीज खाना-पीना नहीं चाहिए।
(क्रमशः)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|