Re: मुहावरों की कहानी
मुहावरों वाली कथा (10)
फिर हमारा उतरा हुआ चेहरा देख कर पत्नी ने कहा- मेरी किसी बात का बुरा मत मानना. हमारा धर्म ही तुम्हारी हर बात को काटना है, चाहे वह कितनी भी सही क्यों न हो. जो पत्नी अपने पति को जितनी ज्यादा खरी खरी सुनाती है,वह अपने पति से उतनी ही ज्यादा खुश और संतुष्ट होती है. पति का चरित्र उतना ही उज्ज्वल माना जाता है. जिस घर में पत्नी अपने पति से संतुष्ट और खुश होती है,वहाँ यो देवताओं का वास होता है.
तभी हमारे बच्चे भी हंसते हुए यानी खीसें निपोरते हुए वहां पहुंच गये. बोले माँ का जब भी मन भारी होता है तब वह पिताजी से लोहा ले कर तरोताजा हो जाती है. वैसे आपका यश आप के पीठ फिराते ही डंके की चोट पर गाती है.
(क्रमशः)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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