Re: मुहावरों की कहानी
मुहावरों वाली कथा (12)
इसके बाद पता नहींक्या हुआ कि बच्चे वहाँ से सिर पर पैर रख कर भागे. वे जोर जोर से चीखें मार रहे थे और नहीं-नहीं कह रहे थे. दुम दबा कर और जान ले कर भागे. ऐसे गायब हुए जैसे गधे के सिर से सींग.
ऐसा दुर्लभ, विरल ज्ञान और सम्मान पा कर हम ख़ुशी से फूले नहीं समाये. हमारा दिल बाग़ बाग़ हो गया. हम फूल कर कुप्पा हो गये. हम ख़ुशी ख़ुशी टीवी पर राक्षसी सासों और चुड़ैल बहुओं वाले सीरीयल देखने लगे.
(इति)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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