Re: फटकार
मेरे विचार से तो भई आप उस लेखक को क्षमा कर ही दें। अब तो मल्टीप्लेक्स थियेटर का खर्चा करने के बाद अगर फिल्म पसंद न आए तो भी दर्शको ने गालीयां देना छोड़ दिया है।
अगर हमने बाजार जा कर कोई पुस्तक खरीदी हो, उसमें कोई एसी रचना मिले तो बहुत स्वाभाविक है की हमें गुस्सा आएगा। लेकिन ब्लोग ईत्यादि पर 'ज्यादातर' लोग अपने आपको लेखक घोषित करते हुए जो लिखतें है, जरुरी नहीं की वह अच्छे लेखन के सभी मुल्यों पर खरा उतरे।
शायद अब ज्यादा जरुरी यह है की जो समर्थ लोग है, क्षमतावान है उन्हें कुछ अच्छा रचने को प्रोत्साहित किया जाए ।
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