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Originally Posted by rajnish manga
'और वह रोती रही' लघुकथा का लेखक बड़ा सौभाग्यशाली है जिसकी कहानी के प्रभाव (या उसकी कमी) के चलते रजत जी ने इतनी भरी भरकम समीक्षा लिखने का मन बनाया. जिन सज्जनों ने वह कहानी नहीं पढ़ी, उन्हें निराश होने की जरुरत नहीं है. उन्हें यह सोच कर क्षुब्ध नहीं होना चाहिए कि हाय हसन हम न हुये. वे इसकी समीक्षा नहीं लिख पाये. यह समीक्षात्मक आलेख उन्हें निराशा से बाहर लाने का काम करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है.
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आपकी टिप्पणी से तो यही प्रतीत हो रहा है जैसे कहानी आपको प्रभावित कर गई है। प्रथम दृष्टया सभी को ऐसा ही प्रतीत होता है। हमारी संक्षिप्त टिप्पणी के बाद लघुकथा लेखक के अभद्र व्यवहार के बाद इसीलिए इतनी विस्तृत समीक्षा लिखने के लिए बाध्य होना पड़ा जिससे पाठकगण भ्रमित होकर वाहवाही न करने लगें।