Re: डार्क सेंट की पाठशाला
कभी स्थिर न बैंठें
ज्यादातर लोग हर दिन जब दफ्तर जाते हैं, तो उनके दिमाग में सिर्फ एक ही विचार होता है - घर लौटने तक का समय गुजारना। उस जादुई समय तक पहुंचने के लिए वे दिनभर में जैसे-तैसे उतने ही काम करते हैं, जिन्हें किए बिना काम नहीं चल सकता, लेकिन आप ऐसा नहीं करेंगे। आप स्थिर नहीं बैठेंगे। नौकरी मिल जाने के बाद ज्यादातर लोगों को यही पर्याप्त लगता है कि वे लगातार वहीं काम करते रहें और हमेशा स्थिर बने रहें, लेकिन काम करना आपका अंतिम लक्ष्य नहीं है। यह तो सिर्फ लक्ष्य तक पहुंचने का साधन है। आपका असल लक्ष्य तो प्रमोशन, ज्यादा पैसा, सफलता, ऊपर का पायदान, बेहतर संपर्क बनाना और अनुभव हासिल करना है, ताकि आप कंपनी के शिखर पर पहुंच सकें। अपना स्वतंत्र बिजनस शुरू कर सकें। एक तरह से नौकरी तो अप्रासंगिक है। हां, आपको काम निपटाना होता है और हां, आपको इसे बहुत अच्छी तरह से करना होता है, लेकिन आपकी निगाह हमेशा अगले पायदान पर होनी चाहिए। नौकरी में आपका हर काम आपकी प्रगतिशील योजना में एक पड़ाव जैसा होना चाहिए। बाक़ी कर्मचारी अगले टी ब्रेक के बारे में सोच रहे हैं। शेष कर्मचारी सचमुच काम किए बिना शाम ढलने की राह देख रहे हैं, लेकिन आप नहीं। आप तो अपने अगले दांव की योजना बनाने और उस पर अमल करने में व्यस्त हैं। आदर्श स्थिति में नियमों का खिलाड़ी अपना हर काम लंच से पहले निपटा लेता है। फिर लंच के बाद शाम तक वह अपने अगले प्रमोशन के लिए अध्ययन करता है, करीबी सहयोगियों से मिल रही प्रतिस्पर्धा का मूल्यांकन करता है, हर कर्मचारी के लिए काम की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के तरीकों पर शोध करता है, कंपनी के इतिहास और उसकी नीतियों के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाता है। आप अपना काम लंच तक पूरा नहीं कर पाते हैं, तो आपको इसके लिए कोई ऐसा तरीका खोजना ही होगा कि जिससे आप इन सभी चीजों को दिन में कभी कर सकें और फिर लगातार आगे बढ़ते रहें।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
|