Re: लघुकथाएँ
प्राणी रक्षक
पवित्रा अग्रवाल
झापड़
पवित्रा अग्रवाल
जन्नत
पवित्रा अग्रवाल
लघुकथा- ईमानदार
--विनय के जोशी
......
और कहा "मुफ्त की कुल्फी खाते शर्म नही आती" ?
वह बोला : "मुफ्त की कहाँ ? इसके बदले थप्पड़ खाने के लिए तो आपके पास खड़ा था वरना भाग ना जाता"?
उपरोक्त कघु कथाएं रोचक भी है और शिक्षाप्रद भी. साथ ही मानव प्रकृति के बारे में बहुत कुछ कहने में सक्षम हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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