---चलते चलते
ओह ये याद एईसी चीज़ है
की जितना भुलाना चाहो
उतना ही ज्यादा याद आती है
साथ साथ यादों के घरौंदे बनाती है
एक टीस दे जाती तनहाइयों में
और दिलों का कत्ले आम किये जाती है
बन जाते हैं रुसवाइयों के बवंडर , और अंखियों
से अंसुवन धार निकल जाती है
अंधियारे , उजियारे पथ पर चलते चलते
एक टूटी तस्वीर उभर जाती है
गमें दिल की आगोश में उसकी आहे सुनी जाती हैं
.अब तो बस रह गई हैं तन्हाइयां और रह गए ख्वाबों के साये
जिसमे अब सिसकियाँ डूबकी लगाती हैं
जख्मे दिलों पे राज करते हैं अब शबनम के आंसू
जिन्हें आकर एक आह पोछ जाती है
वो तो सो गई सदा के लिए और
ठंडी राख भी हो गई चिता की
फिर भी मन के अंधियारे को हरदम वो ज़कजोर जाती है
, चलते चलते देखती बेबस नज़रों से दुनिया को मानो
कहके जाती है , रख लो लाज अब भी बहना की
वर्ना अगली लड़की दामिनी बनाई जा सकती है .
Last edited by soni pushpa; 10-04-2015 at 10:29 PM.
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