Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
वह कौन थी ?
बात कोई 15-16 साल पहले की है। मैं जिस जगह पर काम करता था वहीं पास में एक फ्लैट किराए पर लिया था। इस फ्लैट में मैं अकेला ही रहता था। इस फ्लैट में एक बड़ा-सा हाल था और इसी हाल से सटा एक बाथरूम और रसोईघर।मैं आपको बता दूँ कि इस फ्लैट का हाल बहुत बड़ा था और इसके पिछले छोर परसी से जड़ित दरवाजे लगे थे जिसे आप आसानी से खोल सकते थे। पर मैं इस हाल के पिछले भाग को बहुत कम ही खोलता था क्योंकि कभी-कभी भूलवश अगर यह खुला रह गया तो बंदर आदि आसानी से घर में आ जाते थे और बहुत सारा सामान इधर-उधर कर देते है। आप सोच रहे होंगे कि बंदर आदि कहाँ से आते होंगे तो मैं आप लोगों को बताना भूल गया कि यह हमारी बिल्डिंग एकदम से एक सुनसान किनारे पर थी और इसके अगल-बगल में बहुत सारे पेड़-पौधे, जंगली झाड़ियाँ आदि थीं।
एक दिन शाम के समय मेरे गाँव का ही एक लड़का जो उसी शहर में किसी दूसरी कंपनी में काम करता था, मुझसे मिलने आया। मैंने उससे कहा कि आज तुम यहीं रूक जाओ और सुबह यहीं से ड्यूटी चले जाना। पर वह बोला कि मेरी ड्यूटी सुबह 7 बजे से होती है इसलिए मुझे 5 बजे जगना पड़ेगा और आप तो 7-8 बजे तक सोए रहते हैं तो कहीं मैं भी सोया रह गयातो मेरी ड्यूटी नहीं हो पाएगी। इस पर मैंने कहा कि कोई बात नहीं। एक काम करते हैं, चार बजे सुबह का एलार्म लगा देते हैं और तूँ जल्दी से जगकर अपने लिए टिफिन भी बना लेना पर हाँ एक काम करना मुझे मत जगाना। रात को खा-पीकर लगभग 11.30 तक हम लोग सो गए। हम दोनों हाल में ही सोए थे। मैं खाट पर सोया था और वह लड़का लगभग मेरे से 2 मीटर की दूरी पर चटाई बिछाकर नीचे ही सोया था। एक बात और रात को सोते समय भी मैं हाल में जीरो वाट का बल्ब जलाकर रखता था।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 11-03-2014 at 12:28 AM.
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