09-01-2015, 09:42 PM
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
चूहा और बिल्ली
एक दिन संध्या समय क कवि की एक किसान से भेंट हो गयी. कवि एकान्तप्रिय था और किसान संकोची प्रकृति का था. फिर भी दोनों आपस में बातचीत करने लगे.
किसान ने कहा, “मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ, जिसे मैंने अभी हाल ही में सुना था. एक बार एक चूहा जाल में फंस गया.जब वह खुशी खुशी वहां राखी हुई मिठाई खा रहा था, तो पास ही एक बिल्ली भी खड़ी थी. चूहा पहले तो कुछ डरा लेकिन फिर उसने सोचा कि वह तो इस जाल में सुरक्षित है.
तब वह बिल्ली उससे बोली, “मेरे मित्र, यह तुम्हारा अंतिम निवाला है.”
“निस्संदेह,” चूहे ने उत्तर दिया, ”मुझे तो एक जीवन मिला है, इसलिए मुझे मरना भी एक बार पड़ेगा. पर अपनी बात सोचो. लोग कहते हैं कि तुम्हें नौ जीवन मिले हैं. इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हें मरना भी तो नौ बार ही पड़ेगा?”
इतना कह कर किसान ने कवि की ओर देख कर पूछा, “क्या तुम्हें यह कहानी अजीब नहीं लगती?”
कवि ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया, लेकिन अपने आप से यह कहता हुआ आगे चल दिया कि निस्संदेह, हम भी उस बिल्ली के समान हैं. हमें नौ जीवन प्राप्त हैं. निस्संदेह नौ जीवन, हमें मरना भी नौ बार ही पड़ेगा, नौ बार. कदाचित इससे तो अच्छा था कि हमें भी चूहे की तरह एक ही जीवन मिला होता - जाल में फंसा हुआ एक किसान का जीवन, हाथों में अपना अंतिम ग्रास लिए हुए. क्या हम जंगल में रहने वाले शेर जैसे जंगली जानवरों के ही भाई-बंद नहीं हैं?
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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