Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by suraj shah
तेरा हुआ ज़िक्र तो हम तेरे सजदे में झुक गए,
अब क्या फर्क पड़ता है मंदिर में झुक गए या मस्जिद में झुक गए।
(अज्ञात)
|
ए दोस्त मेरे सीने की धड़कन तो देखना
वह चीज़ तो नहीं हे मुहब्बत कहें जिसे
(हरिचंद अख्तर)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|