Re: मिथक कथा: गिलगमेश
यों गिलगमेंश और एनकीडू को एक दूसरे में अपना आदर्श प्रेम मिल जाता है और गिलगमेश अपनी दीवानगी को त्याग कर सिर्फ़ एनकीडू का हो जाता है। दोनों शूरवीर मिलकर एक ऐसी ताकत बन जाते हैं जिसका इस दुनिया में कोई दूसरी मिसाल नहीं है। और इस ताकत के बूते पर फिर वे एक के बाद एक नये-नये साहसिक कारनामें करते हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं वावा नाम के राक्षस का वध करना, सीडार के जंगलों के यक्ष का वध व स्वर्ग के सांड का वध।
इश्टर नाम की देवी का दिल गिलगमेश पर आ जाता है और वह उससे मिलन की ईच्छा जाहिर करती है। पर अब गिलगमेश बदल गया है और वह सिर्फ़ एनकीडू का है। वह ईश्टर को मना कर देता है। इससे ईश्टर अपमानित महसूस करती है और बदले की आग में वह उरुक के शहर को तबाह करने के लिये स्वर्ग के सांड को भेजती है। यह सांड बहुत ही ताकतवर है पर एनकीडू और गिलगमेश मिलकर उस स्वर्ग के सांड का वध कर देते हैं।
इन सभी शूरवीरता के प्रसंगों से हमें दूसरा सबक मिलता है वह यह कि जब दो पुरुष एक घनिष्ठ बंधन में बंध कर एक हो जाते हैं तो उनकी ताकत अतुल्य हो जाती है और वे किसी भी मुसीबत का सामना कर सकते हैं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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