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मेमोगेट : पाक न्यायिक आयोग ने ब्लैकबेरी रिकॉर्ड मांगा
इस्लामाबाद। मेमो कांड की जांच कर रहे पाकिस्तानी न्यायिक आयोग ने सोमवार को सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी और पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यापारी मंसूर एजाज के बीच ब्लैकबेरी के जरिए हुई बातचीत के रिकॉर्ड हासिल करें। उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित आयोग ने अटॉर्नी जनरल अनवार-उल-हक से कनाडा की फर्म रिसर्च इन मोशन और पाकिस्तान में ब्लैकबेरी के प्रतिनिधि से हक्कानी और एजाज के बीच हुए संवाद का रिकॉर्ड हासिल करने को कहा। एजाज द्वारा कथित मेमो को सार्वजनिक करने के बाद हक्कानी को अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के पद से इस्तीफा देने पर बाध्य होना पड़ा था। उस मेमो में गत मई में ऐबटाबाद में अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद देश में पाकिस्तानी सेना को तख्तापलट से रोकने के लिए अमेरिका से मदद मांगी गई थी। एजाज ने दावा किया है कि उन्होंने हक्कानी के निर्देश पर ज्ञापन का मसौदा तैयार किया था और इसे अमेरिकी अधिकारी को सौंपा था। उसने यह भी दावा किया था कि हक्कानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के इशारे पर काम कर रहे थे। एजाज के दावे का सरकार ने खंडन किया है। शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते मेमो कांड की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की सदस्यता वाले आयोग का गठन किया था। आयोग से इस मामले की चार हफ्ते के भीतर जांच करने को कहा गया है। न्यायालय के इस आदेश से मेमोगेट प्रकरण में असैनिक सरकार पर और दबाव बढ़ गया है। आज की बैठक के दौरान आयोग ने एकबार फिर आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा, एजाज, हक्कानी, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेम्स जोन्स और अन्य अहम प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और उनसे आयोग के समक्ष उपस्थित होने को कहा। आयोग ने सरकार को निर्देश दिया कि बयान दर्ज कराने के लिए आने वाले सभी प्रतिवादियों को वह सुरक्षा प्रदान करे। आयोग की अगली बैठक नौ जनवरी को होगी। अटॉर्नी जनरल हक ने संवाददाताओं से कहा कि उनका कार्यालय ब्लैकबेरी के जरिए हुई बातचीत का रिकॉर्ड हासिल करने के लिए रिसर्च इन मोशन को आज एक पत्र लिखेगा। उन्होंने कहा कि आईएसआई प्रमुख को इसलिए आयोग के समक्ष उपस्थित होना है ताकि वह एजाज और हक के बीच संपर्क के बारे में साक्ष्य प्रदान करें। हक्कानी की वकील अस्मा जहांगीर ने रविवार को कहा था कि वह आयोग के समक्ष उनका प्रतिनिधित्व नहीं करेंगी क्योंकि उनका अदालत द्वारा गठित आयोग में विश्वास नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत को सुरक्षा प्रतिष्ठान प्रभावित कर रहा है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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