Re: Jabalpur, Indore & Mandu (M.P.)
कुछ वक़्त नाट्यशाला में विभिन्न कार्यक्रमों की कल्पना करते हुएहम जहाज़ महल के परिसर में थोड़ा हट कर बने हुए गदाशाह के महल की ओर चलते हैं। गदाशाहका यह महल दो हिस्सों में बना हुआ है और दोनों ही भवन हिन्दू वास्तुशिल्प के भव्यनमूने हैं। कहा जाता है कि सुल्तान महमूद द्वितीय के एक कर्मचारी मेदिनी राय का नामही गदाशाह था जो कुछ समय तक राज्य का स्वामी भी बना। यह युग ऐसा रहा है जब सुल्तानऔर बादशाह अपना राजकाज चलाने के लिए कई बार बड़े बड़े शाहों से पैसा कर्ज़ पर लियाकरते थे। इससे उन शाहों का शाही परिवार और राज्य पर प्रभाव तो रहता ही था। दुकानरूपी भवन दीवाने-आम का काम भी करता था, क्योंकि हिंडोला महल दीवाने-ख़ास ही था।गदाशाह की इस सुपर बाज़ार नुमाँ दुकान पर देशी विदेशी सामान आसानी से मिल जाता था।
गदाशाह का महल एक दो मंज़िला भवन है। भूतल पर मेहराबदार द्वार और पार्श्व में दोकमरे हैं तथा प्रथम तल पर एक बड़ा हाल और वहाँ भी दो पार्श्व कमरे हैं। गदाशाह का यहमहल अब भग्नावस्था में खड़ा हुआ अपने अतीत के झरोखों से वर्तमान को झाँकता हुआ नज़रआता है। गदाशाह के महल तथा जहाज़ महल में प्राप्त बहुत सी सामग्री अब थोड़ी ही दूरहटकर बने हुए एक अजायबघर में रखी हुई है। लेकिन वहाँ बैठे सभी कर्मचारी बहुत हीनिस्पृह तरीके से आने-जाने वालों को देखते रहते हैं। उन्हें भी उस सामग्री के बारेमें कोई विशेष जानकारी नहीं है, सो हम भी घूम-फ़िर कर लौट आते हैं। अभी हमें औरस्मारक भी तो देखने हैं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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