Re: आस्था पर आग
आक्षेप लगाने और पेंच फँसाने के लिए बहुत से बड़े मामले ऐसे हैं जिन पर हमारी दृष्टि नहीं जाती। उदाहरण के लिए इस्लामिक रिसर्च फॉउन्डेशन के संस्थापक डॉ. ज़ाकिर नायक अपने वक्तव्य में कहते हैं कि 'हिन्दू धर्म के अन्तिम अवतार कल्कि का जन्म मोहम्मद साहब के रूप में हो चुका है'। अपनी इस बात को सिद्ध करने के लिए के लिए ये कई तर्क भी देते हैं जो किसी हालत में स्वीकार्य करने योग्य नहीं हैं। कदाचित इन्हें ज्योतिष ग्रन्थों में समाहित तथ्यों की जानकारी नहीं है। ज्योतिष ग्रन्थों के अनुसार समस्त जगत की उत्पत्ति, स्थिति और लय के कारण श्री विष्णुजी के नाभिकमलोद् भूत श्री ब्रह्मा जी हैं। 4 युगों का एक महायुग होता है। जिसकी सौरमान वर्ष संख्या 43,20,000 है। 1000 महायुग का एक कल्प होता है। 2 कल्प बराबर ब्रह्माजी का एक अहोरात्र होता है अर्थात् एक कल्प का दिन और एक कल्प की रात्रि होती है।, तद् नुसार 360 अहोरात्र बराबर 720 कल्प का एक ब्राह्म वर्ष होता है। ब्रह्माजी की आयु 100 ब्राह्म वर्ष अर्थात् 7,20,0,00 कल्प की होती है। वर्तमान में ब्रह्माजी की आयु के 51 वर्ष व्यतीत होकर 52वें वर्ष का प्रथम दिन अर्थात् श्वेत वाराह कल्प है। ब्रह्माजी के उक्त एक दिन में जो 14 मन्वन्तर होते हैं, उनमें 1. स्वायम्भु, 2. स्वारोचिष, 3. उत्तम, 4. तामस, 5. रैवत, 6. चाक्षुस ये 6 मनु व्यतीत हो गए हैं। अब सातवॉं वैवस्वत मन्वन्तर चल रहा है, उसमें भी 27 महायुग समाप्त होकर 28वें महायुग के 3 युग— सतयुग, त्रेता, द्वापर व्यतीत हो गए हैं और चौथा यह कलियुग चल रहा है। कलियुग का आरम्भ भाद्रपद कृष्ण 13 रविवार को अर्धरात्रि में हुआ। इसकी आयु 4,32,000 वर्ष की है। इसमें भगवान् के अवतार श्री बुद्ध और निष्कलंक हैं, जिनमें श्री बुद्धावतार तो हो चुका, कल्कि अवतार कलियुग के 823 वर्ष शेष रहने पर सम्भल ग्राम में विष्णुयश ब्राह्मण के घर होगा, इस अवतार द्वारा दुष्टों का नाश होकर पृथ्वी पर विलुप्त धर्म की पुर्नस्थापना होगी। कलियुग के 5116 वर्ष बीत चुके, कल्पारम्भ से 1,97,29,49116 वर्ष सृष्टि के आरम्भ से 1,95,58,85,316 वर्ष, विक्रम राज्यकालीन संवत्सर से 2072 शकारम्भ से 1937 वर्ष भुक्त हुए हैं। कलिसंवत् और शक की भुक्त संख्या ही वर्तमान कलियुगाब्द और शकाब्द कहलाती है।
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