Re: पता नहीं बेटा
पता नहीं बेटा
पिता जी!
हाँ, बेटा?
तिहाड़ (जेल) को तो सुरक्षा की दृष्टि से भारत की सबसे मजबूत जेल माना जाता है न?
हाँ, बेटा! यही वजह है कि कुख्यात से कुख्यात अपराधी भी तिहाड़ के नाम से घबराते हैं.
मगर, पिता जी? अगर वहाँ इतनी अधिक सुरक्षा है तो वहाँ चोरी छुपे मोबाइल फोन या ड्रग्स कैसे पहुँच जाते हैं?
इसमें तो, बेटा ! अंदर वालों की ही मिलीभगत हो सकती है !! कुछ कर्मचारी पैसों के लालच में अपना ज़मीर तक बेचने को तैयार रहते हैं.
पिता जी, हद तो यह हुई कि दो कैदी इसी तिहाड़ जेल की मजबूत दीवारों को फांद कर निकल भागने में सफल हो गये. यह तो गनीमत हुयी कि एक कैदी बाहरी दिवार से लगे नाले में गिर गया और पकड़ा गया. दूसरा अभी लापता है. इसकी चार दीवारों में से तीन तो 13 फुट ऊँची और बाहरी दीवार 16 फुट ऊँची है. बताया जाता है कि उन्होंने एक सुरंग भी बनाई थी. वे वाच टावर के संतरियों की नज़र से बचने में भी सफल रहे.
हाँ, बेटा! यह तो बड़ी चिंता का विषय है. दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल दोनों ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं. केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने भी रिपोर्ट तलब की है.
क्या जाँचकर्ता अधिकारी सुरक्षा में हुई इस भयंकर चूक व कोताही की तह तक पहुँच पायेंगे? क्या सभी दोषियों को कानून द्वारा दंडित किया जायेगा? क्या बड़े अधिकारी भी जिम्मेदार ठहराये जायेंगे? क्या नैतिक आधार पर सम्बंधित मंत्री को इस्तीफ़ा नहीं देना चाहिये??
पता नहीं, बेटा!!!
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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