मकर संक्रांति
मेरे सभी पाठकों को और सभी हिंदुस्तानी भाई बहनो को आने वाली १४ जनवरी के दिन के मकर संक्रांति पर्व की अनेकानेक शुभकामनायें।
सामान्यतया आमजन को सूर्य की मकर संक्रांति का पता है, क्योंकि इस दिन दान-पुण्य किया जाता है। इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं।
जैसे की हम सभी इस प्यारे से त्यौहार का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार किया करते हैं क्यूंकि इस दिन पतंग उड़ाने की मजा हर कोई लेना चाहता है खास करके गुजरात में इस त्यौहार पर पतंगबाज़ी बहुत होती है लोग
अपने घरों की छतों में जाकर पतंग उड़ाने का मजा लेते हैं
किन्तु इस पर्व की इस मजा में एक दुःख की बात ये भी हो जाती है की नुकीले धागों की वजह से निर्दोष पक्षी मारे जाते हैं। . इसलिए न चाहते हुए भी पुण्य की जगह हम पाप कर बैठते हैं , जबकि इस दिन को पुण्य कमाने का दिन भी माना जाता है इस दिन ज्योतिषों का कहना है की दान का बहुत महत्व होता है दान करके बड़ा पुण्य कमाया जा सकता है। इस दिन को महाराष्ट्र में भी बेहद ख़ुशी के साथ मनाया जाता है वहां महिलाएं एकदूजे के माथे पर हल्दी कुमकुम लगाकर उन्हें भेंट देती हैं इससे ऐसा माना जाता है की ऐसा करने से उनके सौभाग्य में अभिवृद्धि होती है।
इस दिन बहन बेटियों को विशेष रूप आदर सम्मान सहित घरपर बुलाकर उन्हें भी दान दिया जाता है। वैसे उत्तरायण की गरिमा का ज्ञान श्रीकृष्ण भगवन ने गीता में भी दिया है जो कुछ इस प्रकार से है,,
श्रीकृष्ण ने कहा था- भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए गीता में कहा है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता, ऐसे लोग ब्रह्म को प्राप्त हैं।
इसके विपरीत सूर्य के दक्षिणायण होने पर पृथ्वी अंधकारमय होती है और इस अंधकार में शरीर त्याग करने पर पुनः जन्म लेना पड़ता है।
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