21-10-2015, 12:11 PM
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#1143
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
हुशियार कि आसेब मकानों में छिपे हैं
महफूज़ नहीं कूचा-ओ-बाज़ार खबरदार
तीरों की है बौछार क़दम रोक उधर से
इस मोड़ पे चलने लगी तलवार खबरदार
आसेब = प्रेत आत्मा
(मुज़फ्फ़र हनफ़ी)
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रखवाली है,
हर सिसक और चीत्कारों पर तस्वीर तुम्हारी होती है,
मत खड़े रहो,
ऐ ढीठ रुकावट होती है साँसों के आने-जाने में |
(माखनलाल चतुर्वेदी)
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