21-10-2015, 01:44 PM
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#1144
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by suraj shah
रखवाली है,
हर सिसक और चीत्कारों पर तस्वीर तुम्हारी होती है,
मत खड़े रहो,
ऐ ढीठ रुकावट होती है साँसों के आने-जाने में |
(माखनलाल चतुर्वेदी)
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मृदु रजत रश्मियाँ देखूँ
उलझी निद्रा-पंखों में
या निर्मिमेष पलकों में
चिंता का अभिनय देखूँ !
तुझमे अम्लान हंसी है
इसमें अजस्र आँसू जल
तेरा वैभव देखूँ या
जीवन का क्रन्दन देखूँ !
(महादेवी वर्मा)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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